किसी ने एक बार कहा था, “हर कोई genius होता है।”, लेकिन अगर हम किसी मछली को पेड़ पर चढ़ने की उसकी क्षमता से आंकेंगे, तो वह यह मानने लगेगी कि वह मूर्ख और असमर्थ है। समय के साथ बोहोत से Schools भी इसी तरह के बनते जा रहे है और हज़ारो, लाखो छात्रों को robots में बदला जा रहा हैं। क्या Schools अभी भी शिक्षा और सिखने की जगह बची हैं? Schools को तीर्थस्थल माना जाता है, लेकिन क्या वे अभी भी ऐसा ही मानते हैं? क्या उन्हें एहसास है कि कितने छात्र उस मछली से relate करते हैं, जो तैरना चाहती है, लेकिन उसे अनावश्यक रूप से पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है।
हर छात्र के पास एक special gift होता है, एक अलग, एक अनोखा उपहार। लेकिन schools वो जगह है जहाँ उनके अंदर के इन creativity के उपहारों को मार दिया जाता है, उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया जाता है कि वे मूर्ख हैं, वे बेकार हैं। Educational Malpractice के बारे में बात करने से पहले आइये जानते है की यह आखिर होती क्या हैं?
Educational Malpractice क्या हैं? – Navigating a Challenging Landscape:
Educational Malpractice का सीधा सीधा तात्पर्य यह हैं की, जहाँ कोई school, शिक्षक या अन्य शैक्षिक पेशेवर देखभाल के उचित मानक को बनाए रखने में विफल रहते है, जिससे की छात्र की शैक्षणिक उपलब्धि को नुकसान पहुँचता है। Unlike Medical Malpractice, इसकी कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत कानूनी परिभाषा नहीं है, जिससे की यह छात्रों और parents के लिए एक जटिल और अक्सर निराशाजनक मुद्दा बन जाता है।
आज के युग में हमें Robot Zombies बनाने की ज़रूरत नहीं है बल्कि अछि शिक्षा और अछि देखभाल की जरुरत हैं। दुनिया आगे बढ़ चुकी है और अब हमें हमें भी समय के साथ आगे बढ़ना चाइये। हमे ऐसे लोगों की ज़रूरत है जो रचनात्मक, स्वतंत्र, अभिनव और आलोचनात्मक ढंग से सोचते हों। वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि कोई भी दो दिमाग एक जैसे नहीं होते। फिर हर छात्र के लिए एक जैसी शिक्षा क्यों दी जाती है, एक ही तरह से, यह ‘सबके लिए एक ही तरह की’ बकवास क्यों दी जाती हैं? यह “Educational Malpractice” है, जहाँ एक शिक्षक 20 छात्रों के सामने खड़ा होता है, जिनमें से प्रत्येक के पास अपना अलग-अलग प्रतिभाएँ, अलग-अलग ज़रूरतें, अलग-अलग ताकतें होती हैं, लेकिन उन्हें एक ही चीज़, एक ही तरह से पढ़ाया जाता हैं। क्या यह सही हैं?
शिक्षक होने दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण काम है लेकिन फिर भी उन्हें कम वेतन मिलता है। जबकि शिक्षकों को डॉक्टरों और बाकि पेशो जितना मिलना चाइये अगर सामान नहीं तोह क्योंकि अगर एक Doctor उस छात्र के दिल को ठीक कर सकता है, तो शिक्षक उसके दिल तक पहुँच सकता है और उसे सही मायने में जान सकता है और जीना सिखा सकता हैं। शिक्षकों को अक्सर दोषी ठहराया जाता है लेकिन यह कई लोगों के लिए कोई समस्या नहीं है क्योंकि वे बिना किसी विकल्प या अधिकार के एक system में काम करते हैं जहाँ वह अपनी स्वतंत्रता और अपने तरीको से नहीं पढ़ा सकते।Curriculum निर्माताओं द्वारा बनाया जाता है, उनमें से कई ने अपने पूरे जीवन में एक दिन भी नहीं पढ़ाया होगा।
जब बदलते समय के साथ हम cars, mobile phone, घर और अपने आस-पास की हर चीज़ को customize कर रहे हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हम शिक्षा के लिए भी ऐसा ही करें; इसे अपग्रेड करें, इसमें बदलाव करें। निश्चित रूप से गणित महत्वपूर्ण है, लेकिन कला या नृत्य से ज़्यादा नहीं। इसका कोई एक समाधान नहीं है, लेकिन चलिए आगे बढ़ते हैं क्योंकि छात्र हमारी आबादी का 20% हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से हमारे भविष्य का 100% हैं। तो आइए उनके सपनों पर ध्यान दें और फिर हम क्या हासिल कर सकते हैं, इस बारे में कोई नहीं कह सकता।
Alternative Approaches:
1. Internal Resolution: कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से पहले, छात्रों और अभिभावकों को शिक्षकों, प्रधानाचार्यों या School Board के साथ खुले communication करना चाइये और उसके माध्यम से चिंताओं को हल करने का प्रयास करना चाहिए।
2. Documentation: Communication, meetings और लापरवाही के किसी भी सबूत का विस्तृत records रखना महत्वपूर्ण है।
3. Professional Guidance: शिक्षा वकील से परामर्श करने से कानूनी विकल्पों और आपके विशिष्ट स्थान पर किसी मामले की feasibility को समझने में मदद मिल सकती है।
अंततः Educational Malpractice एक जटिल मुद्दा है जिसका कोई आसान जवाब नहीं है। जबकि कानूनी कार्रवाई अंतिम उपाय हो सकती है, खुले संचार, दस्तावेज़ीकरण और शैक्षिक प्रणाली के भीतर समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करना अधिकांश मामलों के लिए आगे बढ़ने का अधिक प्रभावी तरीका हो सकता है।
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