Paisa Gyaan
  • Home
  • Career
  • Online Earning
  • Personal Finance
  • Business
  • Yojana
Reading: Ras Kya Hai ? जानिए रस से जुडी सभी ज़रूरी बातें जो आपको पता होनी चाहिए 
Paisa GyaanPaisa Gyaan
Font ResizerAa
  • Home
  • Career
  • Online Earning
  • Personal Finance
  • Business
  • Yojana
Search
  • Home
  • Career
  • Online Earning
  • Personal Finance
  • Business
  • Yojana
Follow US
  • Home
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Contact Us
Copyright © 2014-2023 Ruby Theme Ltd. All Rights Reserved.
Paisa Gyaan > Personal Finance > Ras Kya Hai ? जानिए रस से जुडी सभी ज़रूरी बातें जो आपको पता होनी चाहिए 

Ras Kya Hai ? जानिए रस से जुडी सभी ज़रूरी बातें जो आपको पता होनी चाहिए 

Hridhaan
Last updated: अप्रैल 12, 2024 10:36 पूर्वाह्न
Hridhaan Personal Finance
Share
9 Min Read

रस सुन कर आपके मन मैं क्या आता है ? अरे वाह आज आम रस मिलेगा या फिर बड़ी गर्मी है क्यों न गन्ने का रस पिया जाये। पर क्या आप “ रस “ शब्द का असली अर्थ जानते है ? अगर हम सरल भाषा मैं देखे तो , रस का सही शब्दार्थ है आनन्द। देखा जाये तो ये बिलकुल सही अर्थ है इस शब्द का। आईये आज हम आपको बताते है की Ras Kya Hai | 

Contents
Ras Kya hai ?रस की क्या विशेषताएं है ?रस के क्या क्या प्रकार होते है ?श्रृंगार रस हास्य रस करुणा रस वीर रस Conclusion : 

Ras Kya hai ?

रस शब्द का अर्थ तो हमने आपको बता ही दिया है पर आपके मन मैं ये सवाल तो आया ही होगा न की आनंद कैसे हो सकता है ? कभी अगर किसी फल का  हो जाये तो आनंद तो नहीं मिलता ? पर आनंद सिर्फ फल के रस तक सीमित नहीं है। 

आप एक कविता पढ़ रहे है और वो पढ़ कर आपको आनंद आया तो इसे हम कहते है की ये कविता का रस था जिससे हमे आनंद आया। अगर हम इस श्रेणी को ध्यान से देखे तो हम ये कह सकते है की जो रस ,  कविता की आत्मा है या ऐसा भी कह सकते है की कवी ने अपनी आत्मा का एक हसिसा अपने कविता के रस मैं घोल दिया है जिसके ज़रिये मानो कविता मैं जान आ गयी हो। 

संस्कृत भाषा मैं एक कहावत है जिस में कहा गया है कि “रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्” अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है। तो रस वह आनंद का रूप है जसिके कारन इन्द्रिया अपना कार्य करती है जैसे की मन कल्पना करता है , स्वप्न की स्मृति रहती है और हमारी जीवा भी खुश हो जाती है। 

इन इन्द्रियों के सही काम करने से हमे ख़ुशी का एहसास होता है जो की हमारे स्वस्थ के लिए काफी अच्छा होता है। यही आनंद अन्य सभी अनुभवों का अतिक्रमण भी है। आदमी इन्द्रियों पर संयम करता है, तो विषयों से अपने आप हट जाता है। परंतु उन विषयों के प्रति लगाव नहीं छूटता। रस का प्रयोग सार तत्त्व के अर्थ में चरक, सुश्रुत में मिलता है। दूसरे अर्थ में, अवयव तत्त्व के रूप में मिलता है।

रस की क्या विशेषताएं है ?

रस की मिठास के बारे मैं तो आपने जान लिया है पर रस की ऐसी क्या ख़ास बात है की लोग रस को इतना ज़्यादा पसंद करते है ? आईये जानते है की रस की क्या विशेषताएं है जिसके कारन वह लोगो को इतनी ज़्यादा मिठास देती है। 

  • रस स्वप्रकाशानन्द तथा ज्ञान से भरा हुआ है। 
  • भाव सुखात्मक दुखात्मक होते हैं, किन्तु जब वे रस रूप में बदल जाते हैं तब आनन्दस्वरूप हो जाते हैं।
  • रस अखण्ड होता है।
  • रस न सविकल्पक ज्ञान है, न निर्विकल्पक ज्ञान, अतः अलौकिक है। 
  • रस वेद्यान्तर सम्पर्क शून्य है अर्थात् रसास्वादकाल में सामाजिक पूर्णतः तन्मय रहता है। 
  • रस ब्रह्मानन्द सहोदर है। 

रस के क्या क्या प्रकार होते है ?

ऐसे तो लोगो ने कभी सोचा नहीं की रस के प्रकार क्या हो सकते है पर कई बड़े ज्ञानियों एवं कवियों ने रसों को अलग अलग उपाधि दी है। तो अगर हम चाहे तो इसे रस के प्रकार न कह कर रस के राजा कहते है। जो रस सबसे ज़्यादा आनंद दे पाए वह रसों के राजा मैं गिना जाता है। 

अगर इस प्रकार से देखे , तो आईये बताते है की रसों के प्रकार या अब कहना सही होगा की रसों के राजा कौन कौन है। 

श्रृंगार रस 

अगर देखा जाये तो महा ज्ञानियों ने सिर्फ रौद्र एवं करुणा का ही विश्लेषण नहीं किया है परन्तु उन्होंने श्रृंगार का भी किया है और श्रृंगार को सर्व श्रेष्ठ रस कहा है यानी की श्रृंगार जो है वह रसराज है जिसका अर्थ है की श्रृंगार रस है रसों का राजा। 

ज्ञानियों ने हर तरह के रस का एक गणित निकल लिया था पर ये श्रृंगार रस मानो उनके मन को छू गया हो। आईये हम आपको श्रृंगार रस के कुछ उदाहरण देते है। 

राम को रूप निहारति जानकी कंगन के नग की परछाही।

याते सबे सुधि भूलि गइ ,करटेकि रही पल टारत नाही।। तुलसीदास कृत रामचरित मानस के

-बालकांड-17

बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाये।

सौंह करे, भौंहनि हँसै, दैन कहै, नटि जाये।

बिहारीलाल

निसिदिन बरसत नयन हमारे,

सदा रहति पावस ऋतु हम पै जब ते स्याम सिधारे॥

-सूरदास

हास्य रस 

लोगो को हसना एक कला है जिसकी कोई तुलना नहीं हो सकती है। आप कह देंगे की कोई भी व्यक्ति दूसरे की बुराई करके आपको हँसा देगा पर जो व्यक्ति दायरे मैं रहते हुए किसीकी बुराई किये बिना पुरे मन से आपको हँसा दे , वही आपको हास्य रस का पान करवा रहा है। 

हिंदी में केशवदास तथा एकाध अन्य लेखक ने केवल मंदहास, कलहास, अतिहास तथा परिहास नामक चार ही भेद किए हैं। अंग्रेजी के आधार पर हास्य के अन्य अनेक नाम भी प्रचलित हो गए हैं।

आईये आपको हम कुछ उदाहरण देते है कुछ काफी अनोखे एवं हट के हास्य रस के : 

सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं,

हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में।

पद्माकर

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,

साज मिले पंद्रह मिनट घंटा भर आलाप।

घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता॥

(काका हाथरसी)

मैं ऐसा महावीर हूं,

पापड़ तोड़ सकता हूँ।

अगर गुस्सा आ जाए,

तो कागज को मरोड़ सकता हूँ।।

करुणा रस 

करुणा  रस को श्रृंगार एवं हास्य रस के बाद की जगे दी गयी है पर ये सबसे भयंकर रस है जो की किसी भी व्यक्ति को बना या बिगड़ देने की शक्ति रखता है। करुणा रस का आवन होता है एक मनुष्य मैं किसी श्राप , तनाव , विनाश , किसीके वैभव का विनाश , मार काट , दासता या किसी भी तरह के मन मुटाव से जिसके कारन कोई अनहोनी हो जाये। 

करुणा रस के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए है। 

मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ।

मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ॥

(तुलसीदास)

करुणे, क्यों रोती है? उत्तर में और अधिक तू रोई।

मेरी विभूति है जो, उसको भवभूति क्यों कहे कोई?

(मैथिलीशरण गुप्त)

वीर रस 

श्रृंगार , हास्य एवं करुणा के बाद अगर कोई रस है जो की लोगो के मन को ललचाने की क्षमता रखता है , वो है वीर रस। वीर रस सिर्फ मनुष्यो के लिए नहीं , पर देवताओं के इन्द्रियों को भी ललचा गए है और इस बात का गवाह हमारा इतिहास है चाहे वो सर्व ग्यानी रावण हो या धर्मवीर युदिष्ठिर ही क्यों न हो। 

वीर रस का उदाहरण हमने आपके लिए नीचे दे दिया है : 

“वह खून कहो किस मतलब का जिसमें

उबल कर नाम न हो”

“वह खून कहो किस मतलब जो देश के

काम ना हो”

वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।

सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।

तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं॥

(द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी)

Conclusion : 

अगर आप भी जान न चाहते थे की रस असल मैं है क्या पर समझ नहीं पा रहे थे , तो आशा करते है की हम आपको धर्म एवं हमारे पूर्वज और ज्ञानियों का उदाहरण देकर समझा पाए की रस का असल अर्थ क्या है और सबसे सरल भाषा मैं देखे तो रस है आनंद। 

तो अब आप बताये की Ras Kya hai ?

For more such updates, Follow Paisa Gyaan.

Share This Article
Twitter LinkedIn Reddit Email Copy Link
By Hridhaan
हृदान शुक्ला एक प्रमुख पुरुष वित्त सलाहकार हैं। उनकी विशेषता वित्तीय योजनाओं और निवेश की दिशा में समझदार सलाह देने में है। उनका अनुभव और उत्कृष्ट ज्ञान वित्तीय क्षेत्र में उन्नति के लिए उन्हें प्रमुख बनाते हैं। वह अपने निष्कर्षी दृष्टिकोण और सुचारु उपायों से अपने ग्राहकों की सहायता करते हैं।
Leave a comment

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Most Popular Article

Bharat Loan : ख़राब CIBIL के साथ भी Loan ले अब 
Personal Finance
15 August को आ रही Mahindra की नयी Thar – पाए इस शानदार गाडी को केवल 1.36 लाख मैं 
Personal Finance
60 की उम्र के पहले 1 Crore कैसे कमाए 
Personal Finance
Paisa Kamane Wale Games – गेम खेलो और रोज़ 1200 – 1500 तक जीतो
Online Earning
बढ़ते हुए Interest Rate के साथ आपके Fixed Income Instrument भी नज़र आ रहे है – जानिए क्या है आपके विकल्प
Personal Finance
आखरी समय मैं सही निवेश करके Tax कैसे बचाये ?
Personal Finance
Facebook X-twitter
  • Home
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Contact Us

Copyright © 2014-2024 paisagyaan.in Ltd. All Rights Reserved.

Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?