आज हमारे देश के अधिकतम व्यक्ति Finance के बारे मैं नहीं जानते है और उन्हें लगता है जब भी पैसो की बात होती है , उसे हम Finance कहते है। पर ऐसा नहीं है , Finance पूरी तरह से कुछ और है। आप भी नहीं जानते ? आपके भी मन मैं यह सवाल है की Finance Kya hai ? आईये बताते है।
Finance की ओर अगर हम ध्यान से देखे तो वह एक ऐसा ज्ञान है जो की जुड़ा है पैसा , मुद्रा एवं Capital Assets से। यह सुनने मैं काफी हद तक अर्थशास्त्र के जैसा लगता है परन्तु ये उससे काफी ज़्यादा अलग है।
Personal Finance को अगर हम सरल भाषा मैं कहे तो ये एक सोच समझ कर योजना है जहा पर आप अपने जीवन के खर्चे और कमाई है जहा पर आप जोखिम को भी ध्यान मैं रखते हुए उससे बचते है।
Corporate Finance हम उसे कहते है जो की Managers के द्वारा कुछ कदम लिए जाते है ताकि वे अपने Company का मूल्य बढ़ा पाए और उसके ज़रिये वे अपने Company की Funding बढ़ा पाए एवं कुछ नए Technique लगा पाए जिसके ज़रिये Company की आर्थिक स्थिति और सुधर जाये।
जैसा की नाम है Public समझ ही गए होंगे की ये हम सभी के लिए होता है पर हमारे लिए ये कौन करता है ? ये सर्कार के द्वारा बनाये गए योजनाए है जहा पर सर्कार हमारी भलाई के लिए एवं हमारे आस पास सर्कार के द्वारा दी गयी चीज़ो को बेहतर बनाने और पैसो का सही इस्तेमाल करने की योजना है।
Investment Management को हम आसान भाषा मैं Professional Asset Management कहते है जहा पर हमारे द्वारा निवेश किये हुए Securities , Shares , Bonds एवं बाकि सभी तरह के Assets का अच्छा ध्यान रखा जाता है।
आप यहाँ नाम से ही समझ रहे है की यहाँ पर बात हो रही है जोखिम को संतुलन मैं लाने की। वित्तीय जोखिम प्रबंधन वित्तीय जोखिमों के विरुद्ध कॉर्पोरेट मूल्य की रक्षा करने की प्रथा है, अक्सर वित्तीय साधनों का उपयोग करके इनके जोखिम को “हेजिंग” करके। फोकस विशेष रूप से ऋण और बाजार जोखिम पर है, और बैंकों में नियामक पूंजी के माध्यम से परिचालन जोखिम भी शामिल है।